मरीजों की बढ़ती संख्या के आगे घुटने टेकती सुविधाएं

मरीजों की बढ़ती संख्या के आगे घुटने टेकती सुविधाएं

रोहित पाल

भारत में कोरोना का कहर जारी है। देश ने अब कोविड-19 संक्रमण के एक दिन में 10 हजार मामलों का आंकड़ा पार कर लिया है। और यह लगातार चौथा दिन है जब ऐसा हो रहा है। 15 जून को आए 11,502 नए मामलों के साथ देश में संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 332424 हो गयी है। इसमें 1,53,106 सक्रिय मामले हैं। अब इन आंकड़ों के साथ भारत दुनिया में सबसे ज्यादा संक्रमित देशों की सूची में चौथे स्थान पर आ गया है और ब्रिटेन को पीछे कर दिया है। अब भारत आगे सिर्फ अमेरिका, ब्राजील और रूस हैं। अब सवाल यह है कि भारत में लॉकडाउन हटने के बाद से स्थिति एक चिंताजनक मोड़ पर बढ़ती नजर आ रही है। जिस तरह से रोज संक्रमण के हजारों नए मामले सामने आ रहे हैं, उस तरह से अगले 1 महीने के अंदर यह आंकड़ा 10 लाख के करीब पहुंच जाएगा। ऐसे में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था की जरूरत पड़ने वाली है। अब सवाल यह है कि क्या भारत कोरोना से निपटने के लिए तैयार है, यानी क्या भारत के पास इतने अस्पताल, बेड, आईसीयू, वेंटीलेटर, मास्क और पीपीई किट हैं? जिससे वह कोरोना प्रभावित लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करा पाए। आइए अब इसी पर एक नजर डालते हैं और देखते हैं कि मौजूदा समय में भारत का मेडिकल स्ट्रक्चर क्या है?

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भारत का मेडिकल स्ट्रक्चर क्या है?

5 जून, 2020 तक के आकड़ों के अनुसार....

  • 957, बेड खास कोरोना मरीजों के लिए, 1,66,460 आइसोलेशन बेड, 21,473 आईसीयू बेड और 72,497 ऑक्सीजन वाले बेड हैं।
  • 2,362 कोरोना के हेल्थ सेंटर जहां 1,32,593 आइसोलेशन बेड, 10,903 आईसीयू बेड और 45,562 ऑक्सीजन वाले बेड हैं।
  • 11,210 क्वारेंटाइन सेंटर, 7,529 कोविड केयर सेंटर जहां 7,03,786 बेड है।
  • 128.48 लाख एन95 मास्क और 104.74 लाख पीपीई राज्यों/केन्द्र शासित राज्यों/केन्द्रीय संस्थानों के पास हैं।

हालांकि मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर के आंकड़ों के बारे में साफ-साफ कहना मुश्किल है, क्योंकि अभी तक ऐसे कोई व्यवस्था नहीं की गयी है जिससे राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह के आंकड़े मिल सकें। लेकिन हां निति आयोग की 11 मई की एक रिपोर्ट जरूर उपलब्ध है जिसके अनुसार कोरोना से लड़ाई में  संस्थागत इंफ्रास्ट्रक्चर देश की एक कमजोरी है। रिपोर्ट के अनुसार उस समय देश में हर 1,445 मरीजों पर एक डॉक्टर था, हर 1,000 लोगों पर अस्पतालों में सात बिस्तर और 130 करोड़ की आबादी के लिए सिर्फ 40,000 वेंटीलेटर।

यही नहीं भारत में लॉकडाउन हटने के बाद से स्थिति एक चिंताजनक मोड़ पर बढ़ती नजर आ रही है। एक तरफ रोज संक्रमण के हजारों नए मामले सामने आते जा रहे हैं और दूसरी तरफ अपनी सुरक्षा के लिए स्वास्थ्य व्यवस्था की तरफ देखने वाले आम लोगों को निराश होना पड़ रहा है। यही नहीं जिन्हें संक्रमित होने का दर है वो अपनी जांच नहीं करा पा रहे हैं और जो संक्रमित में भर्ती नहीं हो पा रहे हैं।

यही नहीं राजधानी दिल्ली में अभी तक कम से कम ऐसे तीन मामले सामने आ चुके हैं जिनमें तुरंत इलाज की जरूरत वाले मरीजों को एक के बाद एक कई अस्पतालों ने भर्ती करने से मना कर दिया और फिर उनकी मृत्यु हो गई।

यही नहीं खुद दिल्ली सरकार के अनुमान के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी में जुलाई के अंत तक कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों के 5 लाख के पार पहुंच जाने की संभावना है। ऐसे आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि सिर्फ एक राज्य में जुलाई के अंत तक कोरोना के आंकड़ों के 5 लाख पहुंचने की संभावना है तो पूरे देश का कोरोना का आंकड़ा कितना होगा?

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खबरों के मुताबिक यही हाल सभी बड़े शहरों का है। मीडिया में आई खबरों के अनुसार मुंबई में तो 99 फीसदी आईसीयू के बिस्तर भर चुके हैं और 94 फीसदी वेंटीलेटर इस्तेमाल में हैं। अहमदाबाद और बेंगलुरु जैसे शहरों से भी ऐसी ही खबरें आ रही हैं। अब सवाल यह है कि क्या लॉकडाउन के इन ढाई महीनों का इस्तेमाल देश में स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने में नहीं हुआ?

 

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